March 15, 2012

मेरे पप्पाजी

Here goes, to a man par excellence, story-teller extraordinaire... there is much I owe him and though I am bound to fall short of words sketching him, or even expressing gratitude, here is an attempt...
PS - For those of you who do not know, I am talking about my grandfather here, whom we all lovingly call Pappaji!


                                     

चैन से ली हुई वो करवटों की कहानी,
सुने कोई, वो लुंगी में पड़ी सिलवटों की ज़बानी...
कहती है कथा उस कल्पशील की,
सब्जी वो लड्डू  से बनी...
जिसके शब्दों से रंजित थी कहानियां,
वो चित्रों और रंगों से सनी...

 अलंकृत कथानक करते वो
कोनों से पत्ते मुड़े हुए...
वो सीख अधूरी बाज़ी से,
और हुनुर वो उससे जुड़े हुए...
यादों और विद्या के वो अनंत सागर,
मेरे पप्पाजी हैं...
किस्से कहानियों का  छलकता गागर,
मेरे पप्पाजी हैं...